नीम के गुण और उपयोग

  मित्रों आज हम नीम के पेड़ के बारे में बात करेंगे। हमारे खेतों और घरों में नीम का पेड़ होता हैं। नीम के पेड़ में अनेक औषधीय गुणों है। नीम एक अत्यंत अनन्य पेड़ है। नीम के पते अनेक औषधीय गुणों होते है। नीम का वृक्ष हमको छाया देता है। नीम के वृक्ष में से दातन बनते है। नीम के पेड़ का दातन करने से शरीर मे कई सारे रोग भाग जाते है। नीम का अनेक फायदे हैं उनमें से एक फायदे यह है कि नीम केन्सर ग्रस्त कोशिकाओं का नाश करता है। 


नीम के फल को निम्बोली कहते है। इस निम्बोली में से तेल निकलता है। निम्बोली के तेल का औषद्यालय में उपयोग किया जाता है। नीम को फल चैत्र मास में आते है। निम्बोली के अनेक सारे फायदे हैं। निम्बोली स्वाद में कड़वी होती है। नीम पशु पक्षियों को छाया देता है। कई पक्षियों नीम के वृक्ष पर रहते हैं। नीम की छाल का रस पीने से बुखार में आराम मिलता है। नीम के वृक्ष में से हमे छाया , निम्बोली, बलटन के लकड़े, नीम का तेल, मकान के फर्नीचर जैसे मिलते है।

         नीम का वृक्ष कई सारे उपयोगी होता है। नीम के वृक्ष में से हमारे मकान के फर्नीचर बनते है। नीम के वृक्ष थके हुए पथिक को आराम देता है। नीम के वृक्ष हमारे कई उपयोग में आते हैं। नीम के वृक्ष में से हमे बलतन मिलते है। नीम को भारत में गाँवो का दवाखाना कहा जाता है। नीम का सेवन रोज करने से लाखों रोगों को दूर रखने की क्षमता रखता है। नीम के एक पत्ते में 150 से ज्यादा रासायनिक रूप का प्रबंध होते हैं। 
            भारत में नीम को सर्वरोग निवारिणी नाम से जाना जाता है। नीम की जड़ों से लेकर तने तक और फूल से लेकर फल तक का उपयोग विभिन्न दवाइयों बनाने में किया जाता है। वनस्पति विज्ञान में नीम की पत्तियों को आजदिरचता इंडिका वर्ग में वर्गीकृत किया गया है जो उस पेड़ में बढ़ती है जो मलेसिया और महोगोनी परिवार से है। नीम की जीवाणुरोधी प्रकृति मुहासों को भविष्य में रोकने में मदद करती है। नीम में कई शक्तिशाली गुण पाए जाते हैं, जो बालों में जू पैदा होने से रोकते हैं। नीम में निम्बिडीन नामक खास तत्व पाया जाता है, जो बालों में रूसी होने से रोकता है। नीम के छाल का अर्क गैस्ट्रिक हाइपर एसिडिटी और अल्सर पर सकारात्मक प्रभाव दिखा सकता है। पेट के स्वास्थ्य के लिए नीम के पत्ते के फायदे देख जा सकता है। नीम का इस्तेमाल कई सालों से आर्युवैदिक चिकित्सा में अल्सर और अन्य प्रकार की गैस्ट्रिक समस्याओं के लिए किया जाता है। नीम शरीर से विषाक्त पदार्थों और हानिकारक जीवाणुओं को बाहर निकाल सकता है। नीम का यह गुण स्वस्थ्य पाचन तंत्र में सुधार करने में सहायक होता है।

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💥 ◆ ध्यान रखने वाली बातें

        एक बात ध्यान रखने जैसी है कि जब नीम का ज्यादी मात्रा में उपयोग होता है तब नीम शुक्राणु कोशिकाओं का नाश करता है। पहले 4 के 5 महीने के गर्भवस्था में जब गर्भ का विकास होता है तब सगर्भा महिलाओं को नीम नही खाना चाहिए। नीम से अण्डकोष को कोई नुकसान नहीं होता परंतु वह ज्यादा गर्मी के कारण बनते है। जब कोई महिला ने गर्भ धारण किया है और शरीर में ज्यादा गर्मी है तब महिला गर्भ को नुकसान पहुंचा सकती हैं। शरीर में सबसे ज्यादा गर्मी नीम पैदा करता है। इसलिए नीम का सही मात्रा में सेवन करना चाहिए। ज्यादा मात्रा में सेवन करने से स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होता है। जीवन में कोई भी चीज का अति ज्यादा सेवन करना नुकसान कारक होता है। इसलिए हमें कोई भी चीज का सही मात्रा में उपयोग करना चाहिए। 


          नीम का पेड़ हमारे आसपास कही भी मिल जाता है। नीम का पेड़ स्वास्थ्य के लिए बहुत गुणकारी है। नीम के पेड़ कड़वे होते है लेकिन हमारे स्वास्थ्य के लिए बहुत लाभकारी होता है। नीम के पेड़ में ऐसे कई गुण होते है। जो हमे इस गुण को जानकर सही मात्रा में उपयोग करना चाहिए। औषधीय वृक्ष में नीम का भी समावेश होता है। 

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