महिलाओं किसी भी क्षेत्र में पीछे नहीं है। वे उच्च से उच्च पद पर आसीन तो है ही। परम्पराओ की बड़ी को तोड़कर अपने अस्तित्व को साकार रूप देने की क्षमता आज की नारी में है। युवा पीढ़ी की गौरवशाली परंपरा में अंतरिक्ष पर अपना अस्तित्व स्थापित कर चुकी भारतीय महिला कल्पना चावला के बाद सुनिता विलियम्स का नाम जुड़ा हुआ है।
20 सितंबर , 2007 को अहमदाबाद हवाई अड्डे पर अमेरिका से एक हवाई जहाज आ पहुंचा तब एटलांटिस पृथ्वी पर पहुचने जैसी उतेजना हुई थी। उसमें था गुजरात का गौरव, भारत की शान और विश्व की बेटी सुनिता विलियम्स। सुनीता विलियम्स ने भारत की प्रतिष्ठा को गौरान्वित किया ओर सफल होकर वापस आई।
हमारे देश के हरियाणा प्रांत के करनाल शहर की कल्पना चावला को प्रथम महिला अंतरिक्ष यात्री होने का सन्मान मिला था। हमारे भारत देश के राकेश शर्मा भी प्रथम भारतीय अंतरिक्ष यात्री है। दुःख की बात यह हुई कि कल्पना चावला हौसले की बुलंदी को छू कर एक कल्पना बनकर रह गई। कल्पना के स्वप्न को और खुद के दिवास्वप्न को लक्ष्य बनाकर सुनीता विलियम्स आज इस मुकाम तक पहुची है।
सुनीता विलियम्स का भारतीय होना हमारे लिए एक गौरव की बात है। सुनीता विलियम्स भारतीय नागरिक नही है परंतु उनका मूल गुजरात से जुड़ा है। सुनीता विलियम्स के पिता दीपकभाई पंड्या का जन्म गुजरात के मेहसाणा जिले के झुलासन गांव में हुआ था। उन्होंने आधी जिंदगी गुजरात में बिताई, अहमदाबाद में माध्यमिक शिक्षा, उच्च शिक्षा प्राप्त की। डॉक्टरी सेवा देकर 1960 में सदा के लिए अमेरिका चले गए। पिता दिपक पंड्या और माता उर्सबाईन के जय, दीना और सुनीता तीनो संतानो में सुनीता सबसे छोटी है।
💥 सुनीता विलियम्स का जन्म :-
सुनीता विलियम्स का जन्म 19 सितंबर, 1965 ई को ओद्यो अमेरिका में हुआ था।
मुक्त वातावरण में पली सुनीता में साहसिक वृत्तियाँ उभर सकी। छ छाल की सुनीता विलियम्स ने अमेरिकी यात्री नील आर्मस्ट्रोंग को चाँद की धरती पर उतरते हुए देखा तब से मन में निश्चय कर लिया था कि मुझे कुछ ऐसा कर दिखाना है। बचपन का संकल्प उसने साकार किया।
सुनीता के खास मित्र और सहाध्यायी माइकल विलियम्स से शादी की और सुनीता पंड्या से सुनीता विलियम्स बनी। माइकल विलियम्स ने सुनीता की सिद्धि में साथ दिया।
जून, 1998 में सुनीता को नासा के लिए चयनित किया गया।अगस्त 1998 में उन्होंने नासा में प्रशिक्षण प्रारंभ कर दिया। कड़े प्रशिक्षण के बाद सुनीता खुद अंतरिक्ष यात्रा के लिए तैयार हो गई। सुनीता बताती है कि अंतरिक्ष स्पेश स्टेशन में जिंदगी आसान नहीं है। खाने से लेकर नहाने तक यहाँ सब कुछ कठिन है।
डिस्कवरी अभियान फ्लोरिडा से केनेडी स्पेश सेंटर से फ्लाइट इंजीनियर के तौर पर डिस्कवरी मिशन में शामिल होने के बाद 10, दिसंबर , 2007 अटलांटिस अंतरिक्ष से सुनीता स्पेश स्टेशन पहुची।
सुनीता विलियम्स ने कहा है कि :-
"यहां पर सबसे बड़ी बात मुझे यह लगती है कि हमारी पृथ्वी कितनी शानदार है । दुनिया को अलग नजरिए से देखने का मौका और यह अंतदृष्टि मिलती है कि अपने ग्रह को कैसे आनेवाली पीढियो के लिए बचाए। अंतरिक्ष मिल जूलकर काम करने की बढ़िया जगह है और यहाँ आकर ऐसा लगता है कि हम पृथ्वी पर क्यो विवादों में उलझे रहते हैं।"
नई दिल्ली के अमेरिकी सेंटर में अंतरिक्ष यान जब भारत पर से गुजरा तब वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के दौरान सवालो के जवाब देती सुनीता विलियम्स ने कहा :-
"यहाँ से विश्व सीमाओ में बटा नजर नहीं आता। यहाँ से सिर्फ दिखता है हमारा सुंदर ग्रह , सुंदर ग्रामीण इलाके , सुंदर पहाड़ों और आसमानी रंग के पूरे सुंदर महासागर , हरे मैदान और अनेक रंगों में जमीन दिखाई दे रही थी। यह दृश्य बहुत मनोहर था।"
19 जून, 2007 को स्पेस सटल अटलांटिस सुनीता समेत सात अंतरिक्ष यात्रियों को लेकर धरती की ओर रवाना हुआ। पूरा विश्व सुनीता विलियम्स की सकुशल वापसी के लिए प्राथना कर रहा था।
💥 सुनीता विलियम्स की अंतरिक्ष यात्रा :-
194 दिन, 18 घंटे और 58 मिनिट अंतरिक्ष बिताकर रिकॉर्ड बनाकर सुनीता विलियम्स की वापसी 22 जून, 2007 को हुई।
सुनीता विलियम्स के आश्चर्यजनक कार्य से भारतीय और गुजरातीयो का शेर ऊँचा हुआ।
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