भारत के पशुपक्षियों की विशेषता


भारत देश एक विशाल देश है। इसमे पशु-पक्षी भी नाना प्रकार, रंग, रूप तथा गुणों से पाए जाते हैं।  भारत मे अनेक विविध प्रकार के पशु-पक्षियों देखने मिलते है।इसलिए तो कहा जाता है कि भारत में विविधता में एकता है।





कुछ बृहदाकार हैं तो कुछ सूक्ष्माकार।  भारत के प्राचीन ग्रंथों में पशु-पक्षियों का विस्तृत वर्णन मिलता है। आर्युवेदिक ग्रंथों में उनका विशेष उल्लेख मिलता है। भारत देश में गाय, अजगर, कछुआ, कस्तूरीमृग, कुत्ता, खंजन, कोकिल, गेंडा, हाथी, सिंह, बाघ, भेश, बकरी, ऐसे कई पशु-पक्षियों हैं। कुछ अन्य पशु-पशुओ का संक्षिप्त वर्णन यहाँ दिया गया है।


💥 घरेलू गौरेया

      घरेलु गौरैया एक पक्षी है जो यूरोप और एशिया में सामान्य रूप से हर जगह पाया जाता है। शहरी इलाकों में गौरैया की छह तरह की प्रजातियां पाई जाती है। ये है हाउस स्पैरो, स्पेनिश स्पैरो, रिसेट स्पैरो, डेड सी स्पैरो और ट्री स्पैरो। इनमे हाउस स्पैरो को गौरैया कहा जाता है। यह शहरों में ज्यादा पाई जाती है। लोग जहां भी घर बनाते हैं देर सबेर गौरैया के जोड़े वहां रहने पहुंच ही जाते है।



💥    टीटीभ

 यह एक प्रसिद्ध पक्षी है। इसे करबानक, लंबी, खरमा, पाणविक आदि भी पुकारतेहै। इसके नर और मादा दोनो ही एक ही रंगरूप के होते है। यह पक्षी लगभग 16 इंच लंबा होता हैं। शरीर का रंग राखीपन लिए होता है, उस पर गाढ़ी भूरी लकीर और चिन्ह होता है। पीठ की चीटियां धनी और नीचे की ओर बिखरी बिखरी सी रहती हैं। आँख पर होकर एक काली धारी सिर के बगल तक आती है। इसके ऊपर और निचे की ओर एक हलकी भूरी लकीर होती हैं। डैने भूरे, दुम राख के रंग की और निचे का हिस्सा सफेद होता हैं। गर्दन और पूछ के निचे का भाग ललछौंह भूरा और सीने पर खड़ी गाढ़ी भूरी धारियां होती हैं। आँख चटक पीली और चोंच तथा टाँगे पीली होती हैं।



💥 पशुधन:-

        भारत देश एक खेतीप्रधान देश है। भारत के किसान खेती के व्यवसाय के साथ साथ पशुपालन का व्यवसाय भी करते हैं। पशुपालन के व्यवसाय से डेरी उद्योग का विकास हुआ है। दूध में से अनेक वस्तुए बनती है जो हम जीवन जरूरीयात में उपयोग करते है।
      भारत देश में जंगली प्राणियों, पालतू पशुओं, दुधाला पशुओं के रूप में विभाजित किया जाता है। जो पशु दूध देते है उस दूध में से अनेक चीज वस्तुए बनाई जाती है। जो पशु दूध देते है उस के कारण डेरी उद्योग का विकास हुआ है।


💥 गाय

      गाय दूध देती है। गाय का दूध पवित्र माना जाता है। गाय के दूध में इतनी ताकत है कि गाय के दूध खाने से असाध्य रोगों भी दूर  हो जाता है। गाय को भारत देश में माता का दर्जा दिया गया है। प्राचीन समय में भी गाय का बहुत महत्व था। माना जाता है कि गाय में 33 करोड़ देवता का वास है। गाय का दूध खाने के बाद जल्दी पाचन हो जाता है। कोई भी धार्मिक कार्य में गाय के दूध का उपयोग किया जाता है।

    एक या अधिक पशुओं के समूह को , जिन्हें कृषि संबंधित परिवेश में भोजन, रेशे तथा श्रम आदि सामग्रिया प्राप्त करने के लिए पालतू बनाया जाता है उन्हें पशुधन के नाम से जाना जाता है। कई पशुपालन प्रथाएँ 1990 तथा 2000 के दशक में आंदोलन का कारण बनी है तथा कई देशों में इनसे संबंधित कानून भी बनवाए है।



    पशुपालन कृषि विज्ञान की एक शाखा है जिसके अंतर्गत पालतू पशुओं के विभिन्न पक्षों जैसे भोजन, आश्रय, स्वास्थ्य, प्रजनन आदि का अध्ययन किया जाता है। पशुपालन का पठन-पाठन विश्व के विभिन्न विद्यालयों में  एक महत्वपूर्ण विषय के रूप में किया जा रहा है।
      भारतीय अर्थव्यवस्था में कृषि एवं पशुपालन का विशेष महत्व है। सकल घरेलू कृषि उत्पाद में पशुपालन का 28-30 प्रतिशत का योगदान सराहनीय है जिसमें दुग्ध एक ऐसा उत्पाद है जिसका योगदान सर्वाधिक है। देश की लगभग 70 प्रतिशत आबादी कृषि एवं पशुपालन पर निर्भर है। स्पष्ट है कि देश का अधिकांश पशुधन आर्थिक रूप से निर्बल व्यक्ति के पास है।
      भारत के पशु-पक्षियों की जानकारी निचे चित्र के साथ दी गई है। भारत देश मे पालतू पशु, जंगली पशु और अनेक प्रजातियों के पक्षियों है।
     भारत में गाय का बहुत ज्यादा महत्व है। पुराण ग्रंथों में कहा गया है कि गाय में 33 करोड़ देवो का वास है। भारत देश में गाय को  माता के रूप में पूजा की जाती है। गाय का दूध पवित्र माना जाता है।




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